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Tuesday, January 20, 2015

एक कलाकार

एक कलाकार था....
उसके घर पर बहुत मच्छर हो गये, तो उनसे परेशान होकर उसने मच्छरदानी लगानी शुरू की, अब हुआ यूँ कि,
भाई साहब की मच्छरदानी में एक छेद हो गया....

अब उसमें से मच्छर अन्दर आते और काटते,
सो तकलीफ जस की तस रही....

सिलाई करना आता नहीं था, अब करे तो करे क्या??
आखिर उसके कलाकार दिल ने
एक उपाय ढूंढ ही निकाला, उसने उस छेद के सामने एक और छेद कर दिया....

और एक छोटी पाइप लेकर आरपार रख दी, 
अब मच्छर एक छेद में से जाते दुसरे में से बाहर ....

ये कहानी तो यहाँ पूरी हो गयी....

लेकिन काश हम भी अपने दिमाग में एक ऐसी खिड़की रख सकें,

एक ऐसी आरपार वाली पाइप रख सके....

हमें चुभने वाले, काटने वाले.... 
परेशान करने वाले विचारों को ऐसे ही बायपास कर दे....
तो जीवन कितना सुन्दर हो..!

चाय का कप लेकर आप खिड़की के पास बैठे हों और बाहर के सुंदर नज़ारे का आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं ....
अरे चीनी डालना तो भूल ही गया...
और तभी फिर से किचन मेँ जाकर चीनी डालने मे आलस आगया......
आप फीकी चाय को जैसे तैसे पी गए तभी आपकी नज़र कप के तलवे मे पड़ी बिना घुली चीनी पर पडती है........
हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है, सुख ही सुख बिखरा पड़ा है हमारे आस पास, लेकिन बिन घुली उस चीनी की तरह .......
थोड़ा सा ध्यान दे

किसी के साथ हसते हसते
उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए
अपनो की आँख का पानी
धीरे से पोछना आना चाहिए
दोस्ती मे कैसा मान अपमान
बस अपनों के दिल मे रहना आना चाहिए.

छोटा बनके रहोगें तो, मिलेगी हर बड़ी रहमत दोस्तों
बड़ा होने पर तो माँ भी, गोद से उतार देती है……..!!

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